हिन्दू धर्म के दो वेदों यजुर्वेद और ऋग्वेद के दो भागों से मिलकर बना गायत्री मंत्र का जाप भौतिक और आध्यात्मिक उपलब्धि प्राप्त करने के लिए किया जाता हैं. शिक्षा, एकाग्रता और ज्ञान के लिए सबसे अधिक सर्वश्रेष्ठ गायत्री मंत्र को ही माना गया हैं. हिन्दू धर्म में मान्यता के अनुसार आकाशवाणी से ही सृष्टि के रचयिता को यह मंत्र प्राप्त हुआ था.गायत्री मंत्र का प्रभाव देखने के लिए आपको इसके उच्चारण के साथ कुछ नियमों का पालन भी करना पड़ता हैं. इसलिए आज हम आपको सबसे शक्तिशाली कहे जाने वाले मंत्र के सही से उच्चारण करने के कुछ नियम बताने जा रहे हैं.
गायत्री मंत्र का जाप आप सूर्योदय से ठीक पहले शुरू करते हुए, सूर्योदय के कुछ देर बाद तक कर सकते हैं. दुपहर और सूर्यास्त से पहले भी आप गायत्री मंत्र का जाप कर सकते हैं. हो सके तो गायत्री मंत्र का जाप करने से पहले जमीन पर कुश या चटाई का आसन बना लें.गायत्री मंत्र का जाप करते हुए आप तुलसी या फिर चन्दन की माला का भी प्रयोग कर सकते हैं. अगर आप यह जाप ब्रह्ममूहुर्त में यानी सुबह कर रहें है तो ध्यान रहे की आपका मुख पूर्व दिशा की ओर हो और अगर आप शाम को कर रहें है तो आपका मुख पश्चिम दिशा की ओर होना चाहिए. गायत्री मंत्र का मानसिक जप आप अपनी श्रद्धा अनुसार किसी भी समय में कर सकते हैं.
हिन्दू धर्म में मान्यता के अनुसार जो बच्चे किसी एक चीज में अपना ध्यान नहीं लगा पाते या फिर पढ़ाई में कमजोर होते हैं. ऐसे बच्चों को नियमित रूप से गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए. यह मंत्र बच्चों की एकाग्रता को बेहतर बना देता हैं. इसके साथ ही यह मंत्र इतना शक्तिशाली है की आपकी जिंदगी से जुड़ी हर समस्या का समाधान आपको इस मंत्र के उच्चारण करते हुए मिल जाएगा. इसीलिए इस मंत्र का जितना भी गुणगान किया जाये वह कम हैं और इस मंत्र का उच्चारण आप पूरी श्रद्धा के साथ ही शुरू करें.