भारतीय संस्कृति में किसी बेटी के विवाह उपरांत उस अपने पति के घर आना होता है.उस घर में उसकी सांस ससुर, देवर जेठ इत्यादि होते है.कहां जाता है कि वह लड़की अपने मां बाप को छोड़कर मायके से सुसराल आती है तो उसके जन्म देने वाले मां बाप तो नहीं होते वहा लेकिन उनके जितना प्यार करने वाले जरूर होते है.लड़की अपनी हर सुख दुख अपनी सांस के सतह निभाती है.लेकिन बदलते परिवेश में अनेक ऐसे उदाहरण मिलते है देखने को कि बहू और सांस बहुत प्यार से एक दूसरे के साथ रहती है.आज आपको एक ऐसी जानकारी से रहे जिसे सुनकर आप आश्चर्य चकित हो जाएंगे.
पूरे शहर में इसी बात की चर्चा हो रही है.ऐसी अनूठी मिसाल आज तक किसी ने नहीं कायम की है.सास के प्रति बहुओ का प्यार कि यह दास्ता आपको बताते है.घटना है.बिलासपुर जिला मुख्यालय से 25 किलोमीटर दूर छोटे से गांव रतनपुर की.वहा 11 बहुओं ने बनाया अपनी सास का मंदिर.बहुओं ने बताया कि उनकी सास उनको बेहद पसंद करती थी.हर बहू से उसका रिश्ता मा बेटी जैसा था.हर तरह की आजादी दे रखी थी.
उनके निधन के बाद 2010 में बहुओं ने फैसला लिया की वो अपनी सास की याद में एक मंदिर बनाएगी जी शांति देवी मंदिर कहलाता है.इस मंदिर में सास का श्रृंगार सोने चादी के आभूषणों द्वारा किया जाता है.हर महीने बहुओं के द्वारा मंदिर में जाकर भजन कीर्तन किया जाता है.
मंदिर के बारे में सुनकर दूर दूर से लोग दर्शन के लिए आ रहे है.सास का मंदिर की खायाती दिनोदिन बढ़ती जा रही है.शांति देवी के पति ने बताया कि वह बहुत अच्छे व्यवहार के कारण आज भी उनका परिवार एकजुट है.हर में तकरीबन 39 सदस्य है.
यदि कोई काम होता है तो हर सदस्य से राय मसोरा किया जाता है.तब अंतिम निर्णय लिया जाता है.आस पास के लोग सास ओर बहुओं में ऐसे प्यार कि मिशाल दे रहे है.उनको अचंभ होता है कि केसे 11 बहुओं ने अपनी सास से इतना प्यार रिश्ता बना रखा है.