इस समय देश भर जगह जगह से नफरत और झगड़े की खबरे आ रही है,पर ये हमारे देश की सच्चाई ना कल थी ना आज है,कुछ शरारती तत्व अपने फयदे के लिए ऐसे लोग इखट्टे करते है जो इन सब कामो को अंजाम देते है,पर जो हक़ीक़त है वो भी समय समय से सामने आती रहती है, जो लोगों को मिलजुल कर रहने की सीख देते हैं.ऐसा ही एक मामला सामने आया है जिसकी सभी ओर तारीफ हो रही है, ये खबर आजमगढ़ जिले आयी है ,जहा गंगा-जमुनी तहजीब की बेहतरीन मिसाल पेश की जा रही है.
यहाँ हिन्दू मुस्लमान का असल प्रेम और सौहार्द देखने को मिला, एक मुस्लिम परिवार ने हिन्दू बेटी की शादी के लिए न सिर्फ अपने आंगन में सात फेरे लेने के लिए मंडप सजवाया बल्कि हिन्दू-मुस्लिम महिलाएं शादी में मिलकर देर रात तक मंगल गीत गाती दिखी,ये सब लोग भी इसी देश के है जिनके लिए हिन्दू की बेटी भी बेटी जैसी है,और मुस्लमान का घर भी पवित्र है,और जब ये दूरी नहीं है तो क्या तेरा और क्या मेरा. मुस्लिम परिवार ने हिन्दू पारीवार की बेटी को अपना समझ कर खर्च में भी जी खोलकर योगदान किया.
आजमगढ़ शहर के एलवल मोहल्ले के रहने वाले राजेश चौरसिया पान की दुकान लगाकर अपना और अपने परिवार का गुज़ारा चलाते है.पर जीवन हमेशा आसान नहीं होता, उनकी बहन शीला के पति की दो वर्ष पूर्व कोरोना काल में चल बसे, जिसके बाद चौरसिया ने अपनी भांजी की शादी की ज़िम्मेदारी उठायी,और उसकी शादी की ज़िम्मेदारी भी अपने कंधो पर ले ली,पर शादी जैसा बड़ा कार्य निपटना आसान नहीं था,और काम भी ऐसा नहीं था की पैसे की किल्लत ना हो,पर वो भांजी की शादी घूमधाम से करना चाहते थे,
ऐसे में उन्होंने पडोसी परवेज से भांजी की शादी के लिए मंडप लगाने की बात कही.ये सुनकर परवेज ने बिना दिएर किये सारा काम अंजाम देने की सोच ली, घर के आंगन में न सिर्फ मंडप सजा बल्कि मंगल गीत भी गाए गए. इसके बाद 22 अप्रैल को जौनपुर जिले के मल्हनी से बारात आंगन में पहुंची तो द्वाराचार और वैदिक मंत्राचार के बीच सात फेरे और सिन्दूरदान की रस्म सम्पन्न हुई. इस दौरान हिन्दू मुस्लिम महिलाएं मिलकर देर रात तक शादी में मंगल गीत गाती रहीं.खिचड़ी रस्म शुरू हुई तो पड़ोसी परवेज ने वर के गले में सोने की सिकड़ पहनाई, जिससे लड़की वाला का मान और बढ़ गया
