हिन्दू पुराणों मे अनेक पुराणिक कथाओं का सार है.पौराणिक कथाओं किसी फल,सब्जी,नाम आदि को लेकर है.उसके पीछे की मान्यताएं भी होती है.मान्यताओं और पौराणिक कथाओं से हमारे समाज में किसी ना किसी के प्रति एक धारणा बन जाती है.कहीं बार यह धारणा एक नियम में बदल जाता है.जैसा कि हम देखते है की पौराणिक कथाओं में बिल्ली का रास्ता करना अपशगुन माना जाता है तो आज ये धारणा सभी जगह विद्यमान है.हिन्दू समाज की ऐसी मान्यता ओर कथाओं से बहुत से चीजे को शुभ या अशुभ माना जाता है.कहा जाता है कि अगर वह धर्म के विरुद्ध या अशुभ कार्य करता है तो उसका दंड मिलता है.
आज आपको एक ऐसे आदिवासी समाज की पौराणिक महत्व ओर उसके पीछे की शुभ ओर अशुभ के बारे में जानकारी देगे.आपको बता दे कद्दू को हर घर में बड़े चाव से खाया जाता है.कद्दू को लेकर पौराणिक महत्व भी उजागर होता है.कद्दू की धार्मिक सब्जी या धार्मिक अनुष्ठान पर ज्यादा उपयोग किया जाता है.पतंजलि ने कद्दू खाने के अनेकों फायदे बताए गए है.आज आपको कद्दू से जुड़ी आदिवासी समाज की मान्यताओं को बताते है.समाज में कद्दू को बलि के रूप में भी उपयोग किया जाता है.हिन्दू पुराणों मे एक ऐसी मान्यता है कि महिला कद्दू को नहीं काट सकती है.मतलब उसके छोटे छोटे टुकड़े कर सकती है लेकिन साबुत कद्दू नहीं काट सकती है.इसके पीछे की मान्यता है कि कद्दू को ज्येष्ठ पुत्र की संज्ञा दी जाती है. अगर महिला कद्दू को काटती है तो इसका आशय है कि वो अपने ज्येष्ठ पुत्र की बली दे रही है.इस परम्परा से चलते पहले महिलाएं उसके 2 टुकड़े करवाती है.
इस मान्यता के साथ ये भी कहा जाता है कभी कद्दू को अकेले नहीं काटना चाहिए.हमेशा 2 कद्दू या उसका जोड़ी दर निबू,मिर्ची या आलू का उपयोग किया जाता है.आदिवासी समाज में कद्दू के लिए अनेक धार्मिक मान्यता है. हल्बा समाज के संभागीय अधिवक्ता अर्जुन नाग के समाज में नारियल की शुभ माना जाता है वैसे कद्दू को भी शुभ मना जाता है.यदि किसी सामाजिक अनुष्ठान में कद्दू खराब निकल जाए तो अपशगुन माना जाता है क्योंकि कद्दू से 30 से 40 लोग खाना खा सकते है.
कम समय में इतने लोगो के लिए दूसरी सब्जी का इंतजाम मुश्किल है.वही आदिवासी क्षेत्रों में महिलाओं द्वारा कद्दू को काटने से बचा जाता है.इसके पीछे धार्मिक मान्यता है कि अगर कद्दू खराब निकलता है तो उस महिला के अशुद्ध होने के संकेत है.ऐसी स्थिति से बचने एवं लोक लाज की शर्म से बचने के लिए महिलाएं इस से दूर ही रहती है.आदिवासी समाज में किसी सुख दुख या किसी भी धार्मिक कार्यक्रम में कद्दू को भेट किया जाता है.क्योंकि इसे सामाजिक फल माना जाता है ।