भारतीय समाज में शादियां का अलग अलग रिवाज़ है.शादियां के तौर तरीके अलग अलग होने के बावजूद भी खुशियां एक समान सी रहती है.शादियों में सबसे कॉमन बात जो है वो है कि घोड़े पर बैठना.क्या कभी सोचा है दूल्हे को घोड़े पर ही क्यों बैठाया जाता है.इसका क्या कारण है.ये सोचने की बात दुख हमेशा घोड़े पर ही बैठता है.चलिए जानते है इसके पीछे के क्या कारण है.हम बात करे पुराणों और कथाओं की तो हमारे सामने भगवान कृष्ण और भगवान राम का पुराणों में जिक्र आता है.आज हम आपको उनकी जिंदगी से बताएंगे क्यों घोड़े पर बिठाया जाता है.चलिए बात करते है जब भगवान कृष्ण का विवाह रुक्मणि से ही रहा था तब कुछ राजाओं ने विरोध करना प्रमाभ कर दिया था और भगवान कृष्ण का विवाह रुक्मणि से नहीं होने दे रहे थे.भगवान कृष्ण ने अपने हाथ में तलवार लेकर घोड़े पर सवार होकर सबको ललकारा ओर युद्ध में आ लड़े.
भगवान राम जब माता सीता से स्वयंवर करने के लिए जा रहे थे तब अन्य सभी राजा उनके लड़ने के आतरू हो गए.लेकिन परशुराम ने आकर सबको शांत कर दिया.इन सबसे से हमे पता चला कि घोड़े को पुराणों मर शौर्य और शक्ति का प्रतीक माना जाता है.पूरे दुनिया में कहा जाता है कि घोड़े की पहली प्रजाति आज से 45 मिलियन साल पहले इस दुनिया मे आई थी.पूरी दुनिया ने 15000 से अधिक घोड़े की नस्ल पाई जाती है.जब दूल्हा घोड़े पर बैठता है तब वो किसी वीर के सामन लगे और उसके सोर्य को गाथा.आज के दौर में युद्ध हो होना नहीं है.
अब ये परंपरा शगुन के तौर पर की जाती है.अपने देखा कई शादियों में घोड़े को डांस कराया जाता है ये नस्ल भारत के पश्चिमी इलाके में होती है.कहा जाता है कि अरब नस्ल के घोड़े सबसे तेज नस्ल के घोड़े है.भारतीय हिस्ट्री में घोड़े का अटूट रिश्ता रहा है.बड़े बड़े युद्ध में घोड़े का प्रयोग किया गया.स्वामिभक्त घोड़े ने अपनी जिंदगी की बलि देकर अपने राजा की जीवन की रक्षा की है.जिसमे सबसे बड़ा उदरण महाराणा प्रताप और उनका घोड़ चेतन के बीच.आज भी राजस्थान में पहली घोड़े चेतन की छतरी बनी हुई है.भारत में कहीं कहीं दुम्हन को भी घोड़े पर बिठाया जाता है.कहीं पर घोड़े की नस्ल के मुताबिक मेले लगया जाते गए
