कहते है ना बच्चे मनके सच्चे, और कभी भी कोई मुसीबत या परेशानी आती है तब भी बच्चे अपनी ही मस्ती मे रहते है. ऐसे ही ये कॅरोना कॉल मे सभी लोग अपने घरों मे बंद और तनाव से भरा माहौल था चारो तरफ.और ऐसी महामारी के माहौल मे सभी परेशान
हम आपको बताने जारहे है लॉकडाउन के चलते महामारी के इस समय में जब हर कोई तनाव और परेशानी से घिरा हुआ था. तब कुछ ऐसे ही प्रतिभाशाली बच्चों की तकतवार कला उभर कर सामने आई है उसमें से एक प्रेक्षा खेमानी नाम की 5 साल की बच्ची के बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं, लॉकडाउन के चलते अपनी योग्यता दिखाई है.जिसने सिर्फ 4 मिनट और 17 सेकंड में 150 देशों के झंडे पहचाने और उनके नाम व राजधानी बताकर विश्व रिकॉर्ड बनाया। प्रेशा मूल रूप से उज्जैन की रहने वाले हैं। उसके पिता भरत पुणे में चार्टर्ड एकाउंटेंट हैं। इस प्रतिभा को विश्व रिकॉर्डस इंडिया बुक में सबसे कम उम्र के बच्चों को दिए जाने वाले पुरस्कार से सम्मानित किया गया। आपको बता दें प्रेक्षा अभी कुछ दिनों अपने माता-पिता के साथ घूमने गई हुई थी और अभी कुछ समय पहले ही वह जयपुर भी आई थी.
प्रेक्षा की गहरी रूचि…
प्रज्ञा की मां ने बताया कि हमारी बेटी को भूगोल में ज्यादा रुचि है. इसको दिमाग में रखते हुए हमारे मिलने वाले हमारे मित्रों ने परीक्षा को भूगोल से संबंधित जानकारी वाली एक पुस्तक भेंट की जिसमें भूगोल से संबंधित तमाम जानकारी है. चांद को देखना और समझना शुरू किया.जब भी अपेक्षा हो कुछ समझ नहीं आता तो मुझसे और झंडू और रंगों के बारे में पूछ लेती थी.और प्रेक्षा ने झंडू के रंगों को पहचानना और समझना शुरू किया और उसके साथ-साथ उन देशों की राजधानी और देशों के नाम को भी मुझसे पूछती रही और उसको याद करना शुरू किया. हमने प्रेक्षा के पिता से भी बात की जिनका नाम भरत है. उन्होंने प्रेक्षा के बारे में हमें बताया.लॉकडाउन के साथ हफ्तों में चलते हमारी प्रेक्षा ने प्रेशा ने सात सप्ताह के लॉकडाउन के दौरान, लगभग 150 देशों, उनकी राजधानियों और उनके झंडों के बारे में अच्छी तरह से सीखा। सातवें सप्ताह में वह दुनिया के सात महाद्वीपों में स्थित विभिन्न देशों के नाम और राजधानियों के साथ उनके झंडे को पूरी तरह से याद कर लिया।
आगे की रणनीति…
हम आपको बता दें कि अब प्रेक्षा ने अलग-अलग राज्यों की मुद्राओं और भाषाओं, प्रधानमंत्रियों, राष्ट्रपति, के बारे में जानकारी हासिल कर उनको याद करेगी.कमसिन उम्र सिर्फ 5 साल की आयु में प्रेक्षा जो कर रही है, बहुत तारीफ के काबिल है. इतनी कम आयु में सिर्फ बच्चे खेल कूद और चॉकलेट खाने ऑटोफिन खरीदने में ही अपना मन लगाते हैं. लेकिन प्रेक्षा जैसे बच्चे बहुत कम होते हैं. प्रेक्षा कि यह प्रतिभा तारीफ के काबिल है. और प्रेक्षा के भविष्य के लिए भी काफी लाभदायक साबित होगी ।